स्तन रोग (Breast
problems)
परिचय:
नारी के स्तन से
संबधी बीमारियों के अनेक कारण माने जाते हैं,
गर्भवती या
बच्चों को जन्म देने के बाद गर्म पानी से स्तनों को न धोना, दूध के रुक जाने पर, बच्चे के सिर लगने पर, स्तन की बीमारियां होने
लगती हैं। जैसे स्तनों में सूजन आना, स्तनों में फोड़े या गांठों
का होना आदि। ध्यान रहे कि ऐसी अवस्था में स्त्री को अपने
बच्चों को अपने दूध का सेवन नहीं करवाना चाहिए।
चिकित्सा:
1.हल्दी
हल्दी और धतूरे
के पत्तों का लेप करने से स्तनों की पीड़ा नष्ट
हो जाती है।
2.मुलहठी
मुलहठी, नीम, हल्दी, सम्हालू और धाय के फूल इन
सभी को
महीन पीस-छानकर
बुरकने से स्तनों के घाव भर जाते हैं।
3.गुलाबजल
अगर स्तनों में
सूजन हो तो गुलाबजल में रूई भिगोकर स्तनों पर
रखकर आधे घंटे तक
आराम करने से सूजन में राहत मिलेगी।
4. इमली
स्त्रियों के
स्तन में सूजन आ जाने पर इमली की जड़ को घिसकर
लेप करने से लाभ
होता है।
5. एरण्ड
एरण्ड के
पत्तों को सिरके में पीसकर स्तनों पर प्रतिदिन
मलने से कुछ ही
दिनों में स्तन कठोर हो जाते हैं और इसके अलावा
गांठे पिघलकर दूध
उतरने लगता है तथा सूजन की तकलीफ भी दूर
हो जाती
हैं।एरण्ड के पत्तों के रस को 2 चम्मच की मात्रा
में
दिन में 3 बार कुछ दिनों तक नियमित पिलाने से स्तनों में
दूध
की वृद्धि होती
है।स्तनों के सूजन से पीड़ित महिला के स्तनों
में एरण्ड के
पत्तों की पुल्टिस बांधने से स्तनों की सूजन और दर्द
में बहुत अधिक
लाभ मिलता है।जब किसी स्त्री के स्तनों में दूध आना बंद हो जाता
है और स्तनों में गांठे पड़ जाती हैं, तब एरण्ड के 500 ग्राम पत्तों को 20 लीटर पानी में घंटे भर उबाले, तथा गरम पानी की धार 15-20 मिनट स्त्री के स्तनों पर डाले, एरंड
तेल की मालिश
करें, उबले हुए पत्तों की महीन
पुल्टिस स्तनों पर बांधे। इससे
गांठे बिखर जायेंगी और दूध का प्रवाह पुन: प्रारम्भ हो जायेगा।स्तनों
का चारों ओर की त्वचा फट जाने पर एरंड
तेल लगाने से
तुरंत लाभ होता है।3 एरंड बीजों की
गिरी को सिरके में पीसकर
स्तनों पर लगाने से स्तनों की सूजन उतर जाती है।
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